सोमवार, 5 नवंबर 2012

9.Madhu Sngh :Sapana

    
  सपना

सजन  मेरा मुझको  सताता बहुत  है 
रुलाता  बहुत  है वो  हँसाता  बहुत  है 

अपनी बातों से वो  गुदगुदाता  बहुत  है
न सुनता  है  मेरी पर  सुनाता  बहुत है 

बड़ा  सिरफिरा  है वो लड़ता  बहुत है
पास पाकर मुझे वो बहकता बहुत है  

न कहता कभी हाँ पर जताता बहुत है
वो शातिर बहुत है पर शर्माता बहुत है  

जुबाँ  उसकी  वैसे  न  खुलती  बहुत है  
दिखने में सीधा वो छुपारुस्तम बहुत है 

सखिओं  को  मेरे वो  छकाता बहुत है
न बुलाऊंगा कह फिर बुलाता बहुत है 

दिखने में सीधा तो वो लगता बहुत है 
बच के रहना सखी वो छलता बहुत है 

पास बैठो मेरे वो ये तो  कहता बहुत है  
पास बैठो तो वो नज़रें झुकता बहुत है

जैसा  भी है वो  लगता प्यारा बहुत है
मेरा सपना  है वो मेरा दुलारा बहुत है  

मेरी दुनिया है वो मुझे भाया  बहुत है 
जब भी रूठी मै उसने मनाया बहुत है

                        मधू "मुस्कान "

   




 
   


 

3 टिप्‍पणियां:

  1. anubhution ki parakastha,bahut khoob, पास बैठो मेरे वो ये तो कहता बहुत है
    पास बैठो तो वो नज़रें झुकता बहुत है

    जैसा भी है वो लगता प्यारा बहुत है
    मेरा सपना है वो मेरा दुलारा बहुत है

    मेरी दुनिया है वो मुझे भाया बहुत है
    जब भी रूठी मै उसने मनाया बहुत है

    जवाब देंहटाएं
  2. sundar prastuti ,bhavo se bhari huyee न कहता कभी हाँ पर जताता बहुत है
    वो शातिर बहुत है पर शर्माता बहुत है

    जुबाँ उसकी वैसे न खुलती बहुत है
    दिखने में सीधा वो छुपारुस्तम बहुत है

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजवाब कविता।

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